क्या खूब इन उजालों ने ये साजिश की है,
हम अपना घर भी जलाएँ ये गुज़ारिश की है,
तू ग़मगीं है कि तुझे ज़रूरत से कम मिला,
वो खुशगुमान है कि उसने नवाज़िश की है,
तुमने दरिया पे ख़तरे की मनादी कर दी,
हमने अगर क़तरों की भी ख्वाहिश की है,
हश्र सोचिये कि उन मिन्नतों का क्या होगा,
लोग गूँगे हैं और बहरों से सिफ़ारिश की है,
अब जब के मैं यहाँ टूट के बिखरा पड़ा हूँ,
हर शख्स ने अपने ज़ख्म की नुमाइश की है,
लहरें मेरी कश्ती को किनारे लगने नहीं देतीं,
और हमने एक उम्र दरिया की परस्तिश की है...
-ऋतेश त्रिपाठी
०७.०७.२००८
कम्युनिटी हेल्थ में एक अद्भुत नाम डॉक्टर सुभाष
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* किंग* जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ से 1969 में MBBS करने के बाद डॉक्टर नरेश
त्रेहन अमरीका चले गए और उनके साथ पढ़े डॉक्टर सुभाष चन्द्र दुबे गुरुसहायगंज।
गुरसह...
7 years ago
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