बुरा वक़्त तुमने भी देखा है प्यारे...

बुरा वक़्त तुमने भी देखा है प्यारे,
सँभलो,सँभलने का मौका है प्यारे,

गरीबों के घर में दिये तेल के हैं,
यही रोशनी का छलावा है प्यारे,

जो मंज़िल समझ के सुस्ता रहे हो,
बड़े रहजनों का इलाक़ा है प्यारे,

सब तैयार फ़सलों में कीड़े लगे हैं,
हरियाली बस इक दिखावा है प्यारे,

हमारी ही चीज़ें हमीं तक न पहुँचें,
मेरे दौर का ये तकाज़ा है प्यारे,

तू ही नहीं इस मुहब्बत का मारा,
हमने भी सबकुछ गँवाया है प्यारे,

तुम्हें हो मुबारक़ तुम्हारी किताबें,
हमें ज़िन्दगी ने सिखाया है प्यारे...

-ऋतेश त्रिपाठी
10।09।2008

2 comments:

  सुधांशु

September 11, 2008 at 1:59 PM

rbadhia bahut badhia ritesh bhai
hamari chije hami tak na pahunche ,,.....maja aa gaya hai....

  "अर्श"

September 13, 2008 at 12:20 PM

bahot dino ke bad aapne koi ghazal likhi hai ,bahot hi spast hai saral rachana hai ...
तू ही नहीं इस मुहब्बत का मारा,
हमने भी सबकुछ गँवाया है प्यारे,

bahot hi sundar rachana hai badhai jari rahe ....


regards