उसका तेवर देख लिया है...

उसका तेवर देख लिया है,
मैंने पत्थर देख लिया है,

अपनी हिम्मत भी देखी थी,
उसका भी डर देख लिया है,

आँखों ने सपनों को छोड़ा,
ऐसा मंज़र देख लिया है,

जाम छिपाकर पीता था तू,
तेरा सागर देख लिया है,

माँ-बाबू की एक सी हालत,
सबका तो घर देख लिया है,

बाबूजी को नींद न आए,
बिटिया ने वर देख लिया है,

दुआ नमाज़ें झूठी हैं सब,
सबकुछ तो कर देख लिया है...


-ऋतेश त्रिपाठी
15.03.09 

5 comments:

  "अर्श"

March 16, 2009 at 4:30 PM

bahot khub... baaboo ji ko nind na aaye ...bitiya ne var dekh liya hai...

maza aagaya...

  मुनीश ( munish )

April 8, 2009 at 11:33 AM

bahut khoob! antim sher manata hun ke sach na ho. waiting 4 u at sasta!

  Satya Vyas

August 20, 2009 at 11:24 AM

umda ........ bahut umda .

  Barthwal

August 30, 2010 at 2:47 PM

ऋतेश जी बहुत खूब ..आपकी इस रचना मे मुझे जो सबसे ज्याद अच्छी लगी जो मन छू गई वो है।
बाबू जी को नींद न आये/ बिटिया ने वर देख लिया है।
(मैने बिना इज़ाज़त आपके नाम के साथ इसे अपने फेसबुक मे स्थान दिया है - क्षमा प्रार्थी)
www.merachintan.blogspot.com

  Barthwal

August 30, 2010 at 2:48 PM

ऋतेश जी बहुत खूब ..आपकी इस रचना मे मुझे जो सबसे ज्याद अच्छी लगी जो मन छू गई वो है।
बाबू जी को नींद न आये/ बिटिया ने वर देख लिया है।
(मैने बिना इज़ाज़त आपके नाम के साथ इसे अपने फेसबुक मे स्थान दिया है - क्षमा प्रार्थी)
www.merachintan.blogspot.com