क़तरा अगर समंदर को शर्मसार करे....

क़तरा अगर समंदर को शर्मसार करे,
समंदर कौन सा रुख अख्तियार करे?

जब समंदर दरिया का कारोबार करे,
क़तरा क्यूँकर समंदर का ऐतबार करे?

जब समंदर दरिया से कारोबार करे,
कोई क़तरा कहाँ जा के रोज़गार करे?

हरेक लम्हा जब नासमझ हाथों में हो,
सदी देखिये कैसी शक़्ल अख्तियार करे,

जिसे जाम का इल्म हो न पीने का शऊर,
मैक़दा आजकल ऐसों का इन्तज़ार करे...

-ऋतेश त्रिपाठी
२०.०७.२००८

1 comments:

  सुधांशु

September 11, 2008 at 2:08 PM

bhaiya ye bhi mast hai.....