मेरा फ़ैसला जिसके बयान पे है,
एक लकवा सा उसी ज़ुबान पे है,
ये पता नहीं किधर रुख करेगी हवा,
खुश है तिनका कि अब उडान पे है,
ख़ुदा बोले भी तो अब कौन सुनेगा,
ज़ोर अक़ीदों का फ़क़त अजान पे है,
हैरत कि इस बन्दूकों के दौर में भी,
तुम्हें भरोसा तीर-ओ-क़मान पे है,
गिनाती है रोज़ मुझे सिमटने के फ़ायदे,
उस हवेली की नज़र मेरे मकान पे है,
तेरी ख्वाहिश और टूटते तारे की उम्मीद,
ये नज़र फिर देर से आसमान पे है....
-ऋतेश त्रिपाठी
15.06.2008
कम्युनिटी हेल्थ में एक अद्भुत नाम डॉक्टर सुभाष
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* किंग* जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ से 1969 में MBBS करने के बाद डॉक्टर नरेश
त्रेहन अमरीका चले गए और उनके साथ पढ़े डॉक्टर सुभाष चन्द्र दुबे गुरुसहायगंज।
गुरसह...
7 years ago
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