वो बेकार कल भी था,आज भी है,
ये रोज़गार कल भी था,आज भी है,
ख़तरों का दौर हो या दौर के खतरे,
गरीब शिकार कल भी था,आज भी है,
अकीदों की दुआऑं में अब असर कहाँ,
वही मज़ार कल भी था,आज भी है,
इश्क़ बूढा सही,मगर ज़िन्दा है अभी,
वो निसार कल भी था, आज भी है...
-ऋतेश त्रिपाठी
22.03.2008
कम्युनिटी हेल्थ में एक अद्भुत नाम डॉक्टर सुभाष
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* किंग* जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ से 1969 में MBBS करने के बाद डॉक्टर नरेश
त्रेहन अमरीका चले गए और उनके साथ पढ़े डॉक्टर सुभाष चन्द्र दुबे गुरुसहायगंज।
गुरसह...
7 years ago
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