ख़ता मेरी मुझे बताइये,
नाहक न पत्थर उठाइये,
खिचड़ी अभी नहीं पकी?
ठंडे चूल्हे फिर सुलगाइये,
इश्क़ में जिस्म लाज़िम है,
दिल मिलाइये,न मिलाइये,
ख़ुशी दुल्हन एक रात की,
रोज़ नया बिस्तर सजाइये,
आपको बटुए की पड़ी है,
अपना गला तो बचाइये!
-ऋतेश त्रिपाठी
२००५ का कोई महीना
कम्युनिटी हेल्थ में एक अद्भुत नाम डॉक्टर सुभाष
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* किंग* जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ से 1969 में MBBS करने के बाद डॉक्टर नरेश
त्रेहन अमरीका चले गए और उनके साथ पढ़े डॉक्टर सुभाष चन्द्र दुबे गुरुसहायगंज।
गुरसह...
7 years ago
1 comments:
June 29, 2008 at 10:19 PM
bhut khub.badhai ho.
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