रमज़ान बीता तो रवायत बदल गई,
ख़ुदा वही है मगर इबादत बदल गई,
वो क़त्ल करते हैं तो देते हैं क़फ़न भी,
कौन कहता है शरीफ़ों की शराफ़त बदल गई,
बचपन में बोझ से ये काँधे टूटते रहे,
वारिस जवाँ हुए तो विरासत बदल गई,
जहाँ सराय तय थी वहाँ बँगले बन गये,
ईंटें हैरान हैं कि कैसे इमारत बदल गई,
उनके घर आग लगी तो कुआँ भूले ,
मौका वही है मौके की नज़ाकत बदल गई,
अब भी ये उम्मीद कि इन्साफ़ है यहाँ,
मुंसिफ़ बदल गये मियाँ ये अदालत बदल गई....
-ऋतेश त्रिपाठी
2006 का कोई महीना
कम्युनिटी हेल्थ में एक अद्भुत नाम डॉक्टर सुभाष
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* किंग* जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ से 1969 में MBBS करने के बाद डॉक्टर नरेश
त्रेहन अमरीका चले गए और उनके साथ पढ़े डॉक्टर सुभाष चन्द्र दुबे गुरुसहायगंज।
गुरसह...
7 years ago
1 comments:
September 3, 2008 at 5:21 PM
उनके घर आग लगी तो कुआँ भूले ,
मौका वही है मौके की नज़ाकत बदल गई,
kya baat hai guru!! bohot achhe!!
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