कई दिनों से इधर उधर लिखता रहा हूँ.एक ब्लाग पहले भी था,मगर उसमें कविता/गज़लों से हटके भी कई सारे विषयों पर लिखा है,और इतना लिखा है कि कविता आसानी से दिखती नहीं.ये नया ब्लाग सिर्फ़ कविताओं/गज़लों के लिये बनाया है.मेरा लिखा हुआ अच्छा लगे तो सराहें, बुरा लगे तो बुरा कहने से परहेज़ ना करें....
-ऋतेश त्रिपाठी

2 comments:

  त्रिलोक चन्द ढ़ल

July 13, 2008 at 2:28 PM

Brilliant!!!!!!!!!!!!!!!!!

  Unknown

July 29, 2008 at 12:28 AM

बहुत खूब ऋतेश - "कतरा कतरा समंदर में यूँ नहाया था, / गुज़र गया तो लगा धूप में ही साया था " - साभार मनीष