पारसा पे तोहमत बेईमानी की....

पारसा पे तोहमत बेईमानी की,
इंतहा खूब हुई कहानी की,

बरहमन कोई प्यासा मरा है,
ज़ात दूसरी थी वहाँ पानी की,

आपने मेरा गला नहीं काटा,
आपने बहुत मेहरबानी की,

सूली पे चढो और उफ़्! न करो,
यही कीमत है तेरी बेज़ुबानी की,

फ़िक़्र-ए-दिल और ख्याल पेट का,
मुश्किलें कम नहीं हैं जवानी की...

-ऋतेश त्रिपाठी
09.04.2008

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