ख़बर अच्छी है भूख के शिकारों के लिये,
हुक्मराँ ख़रीद रहे हैं क़फ़न हज़ारों के लिये,
सबको मालूम कि उस तरफ़ उथला है पानी,
कश्तियाँ फिर भी बेचैन हैं किनारों के लिये,
इक तो आदमी भी बहुत सस्ते थे वहाँ,
कुछ ईंटें भी कम पड़ीं थीं दीवारों के लिये,
चन्द गीली लकड़ियाँ,पागल सा एक शख्स,
फिरता था रात शहर मे शरारों के लिये,
उसने भी सीख लिया अश्क़ छुपाने का हुनर,
हम भी तैयार हैं दिल-फ़रेब नज़ारों के लिये...
-ऋतेश त्रिपाठी
१६.०६.२००८
विकास का मॉडल क्या होता है इसके बारे में आइये कुछ सरल भाषा में बात कर लें।
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*विकास का मतलब ?*
और भी अमीर हो जाना ।
*अमीर हो जाना मतलब ?*
मतलब हमारे पास हर चीज़ का ज़्यादा हो जाना।
*मतलब पैसा ज़्यादा ,ज़मीन ज़्यादा, मकान ज़्यादा हो जा...
6 years ago
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