हैरत का इक खज़ाना मिलेगा....

हैरत का इक खज़ाना मिलेगा,
शहरों में बचपन सयाना मिलेगा,

सुना था कि दिल्ली में मिलती है रोटी,
खबर क्या वहाँ भी फ़साना मिलेगा,

बाज़ार बिस्तर तक आ गया है,
तरक्की का अब क्या पैमाना मिलेगा,

सभी ने गिराई थी मिलकर के मस्जिद,
सुना है ख़ुदा को हर्ज़ाना मिलेगा,

इस उम्मीद पर कोख बिक गई कि,
चलो नौ महीने तो दाना मिलेगा,

यही सोच कर दिल्लगी कर ली "मंथन",
किसी तीर को फ़िर निशाना मिलेगा !

- ऋतेश त्रिपाठी
09.03.2008

1 comments:

  Ashish

September 3, 2008 at 5:23 PM

har sher me dum hai!! awesome!!