वो बेकार कल भी था,आज भी है...

वो बेकार कल भी था,आज भी है,
ये रोज़गार कल भी था,आज भी है,

ख़तरों का दौर हो या दौर के खतरे,
गरीब शिकार कल भी था,आज भी है,

अकीदों की दुआऑं में अब असर कहाँ,
वही मज़ार कल भी था,आज भी है,

इश्क़ बूढा सही,मगर ज़िन्दा है अभी,
वो निसार कल भी था, आज भी है...

-ऋतेश त्रिपाठी
22.03.2008

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