रमज़ान बीता तो रवायत बदल गई,
ख़ुदा वही है मगर इबादत बदल गई,
वो क़त्ल करते हैं तो देते हैं क़फ़न भी,
कौन कहता है शरीफ़ों की शराफ़त बदल गई,
बचपन में बोझ से ये काँधे टूटते रहे,
वारिस जवाँ हुए तो विरासत बदल गई,
जहाँ सराय तय थी वहाँ बँगले बन गये,
ईंटें हैरान हैं कि कैसे इमारत बदल गई,
उनके घर आग लगी तो कुआँ भूले ,
मौका वही है मौके की नज़ाकत बदल गई,
अब भी ये उम्मीद कि इन्साफ़ है यहाँ,
मुंसिफ़ बदल गये मियाँ ये अदालत बदल गई....
-ऋतेश त्रिपाठी
2006 का कोई महीना
विकास का मॉडल क्या होता है इसके बारे में आइये कुछ सरल भाषा में बात कर लें।
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*विकास का मतलब ?*
और भी अमीर हो जाना ।
*अमीर हो जाना मतलब ?*
मतलब हमारे पास हर चीज़ का ज़्यादा हो जाना।
*मतलब पैसा ज़्यादा ,ज़मीन ज़्यादा, मकान ज़्यादा हो जा...
6 years ago
1 comments:
September 3, 2008 at 5:21 PM
उनके घर आग लगी तो कुआँ भूले ,
मौका वही है मौके की नज़ाकत बदल गई,
kya baat hai guru!! bohot achhe!!
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