जॊ दुआ क़ुबूल हॊ तॊ यॆ असर आयॆ...

जॊ दुआ क़ुबूल हॊ तॊ यॆ असर आयॆ,
तीरगी दॆर‌ तक रही है अब सहर आयॆ,

घर है मगर‌ न ज़मीं न आसमाँ अपना,
कैसॆ इस‌ शहर मॆ जीनॆ का हुनर आयॆ,

हाल‍ ए दिल अपना भी इधर ठीक नहीं,
वॊ भी रुसवा हैं आजकल यॆ खबर आयॆ,

तन्हाई किसी कॊ आवारा बना दॆगी दॊस्त‌,
रात जब बीत चली तॊ हम भी घर आयॆ,

यॆ क्या कि बॆच दियॆ दीन भी ईमान भी,
आदमी आदमी है तॊ आदमी नज़र आयॆ,

इरादा दॊस्तॊं ने तब बदल लिया "मन्थन",
रास्ता पुरखार, मॆरॆ हिस्सॆ मॆं सफऱ आये !

- ऋतेश त्रिपाठी
11.01.2008

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