इरादे बागबाँ के कामयाब हो लिये....

इरादे बागबाँ के कामयाब हो लिये,
जितने भी बबूल थे गुलाब हो लिये,

अपने वास्ते थे जो पहेली एक उम्र,
उनके हाथ आए तो किताब हो लिये,

ऐ दोस्त ! तेरे मशवरों का शुक्रिया,
हालात अपने और भी खराब हो लिये,

देख सही कितना अँधेरा है आजकल,
जुगनू यहाँ आ के आफ्ताब हो लिये,

हैरत कि अभी तेरी बुतपरस्ती नहीं गई,
सच बुतक़दों के सभी बेनकाब हो लिये...

-ऋतेश त्रिपाठी
२०.०६.२००८

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