भुखमरी को कुपोषण का नाम देगी...

भुखमरी को कुपोषण का नाम देगी,
सियासत इक और ज़ुर्म अंजाम देगी,

ये बचपन देख कर सोचता हूँ,
थकी हो सुबह तो क्या शाम देगी,

वो इस सोच में फिर बिकने चली है,
आज अस्मत का दुनिया क्या दाम देगी,

रहनुमा की सियासत का मारा हुआ हूँ,
रह्जनी शायद मुझको आराम देगी...

-ऋतेश त्रिपाठी
०९.०३.२००८

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