परंपरा का निर्वहन होता रहेगा....

परंपरा का निर्वहन होता रहेगा,
बस होलिका दहन होता रहेगा,

युवा सुधार की बातें भी होंगी,
बूढों का वेश्यागमन होता रहेगा,

शर्म आए तो पट्टी बाँध लेना,
सत्य यूँ ही निर्वसन होता रहेगा,

गोधूलि में नित विदेशी खुलेगी,
मुँह-अंधेरे आचमन होता रहेगा...

-ऋतेश त्रिपाठी
2007 का कोई महीना

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